सुबह हरिद्वार में बारिश से भीगते हुए गंगा स्नान करने के बाद अगला पड़ाव था ऋषिकेश, गाड़ियों कि कमी थी बारिश कि वजह से दो ऑटो बदलकर ऋषिकेश पहुंचे । वहां पहुंचकर सबसे पहले जो आवाज़ सुनाई दी वो थी सेब बेचने वाले कि कानो पर यकीन नहीं हुआ 15 रु किलो सेब !! थोड़े मोल भाव पर 10 रु किलो में भी मिल रहे थे।

मन तो किया कि आप सभी के लिए भी ले चलें पर साथ के बैग का ही वजन नहीं उठाया जा रहा था इसलिए ये विचार छोड़ना पड़ा तो सेब अगली बार ।
खैर ऊंची नीची और संकरी गलियों पर चलते हुए लक्ष्मण झूले पर पहुंचे थोड़ी देर तो आस पास देखते ही रहे तेज गंगा की धारा, जरा से ऊपर उड़ते बादल मंदिर कि घंटियों और बम भोले कि गूँज एक अजीब सा सम्मोहन था वहां ।



लक्ष्मण झूले के इतने पास ।

पहले चित्र में जो ऊंचा 11 मंजिल का मंदिर दिखाई दे रहा है उससे ऐसा खुबसूरत दिखता है लक्ष्मण झूला ।

लक्ष्मण झूले से माँ गंगा का दृश्य ।

रात भर हुई बारिश कि वजह से माँ गंगा का रंग और प्रवाह ।

बस स्वर्ग से जरा ही तो नीचे है ऋषिकेश पर है स्वर्ग जैसा ही ।

एक और दृश्य लक्ष्मण झूले का इस बार उस साइबर कैफे और रेस्टोरेंट से जहाँ से अब दिल्ली दूर नहीं पोस्ट लिखी थी ।
माँ के आँचल में सबके लिए जगह है जो बहुत दूर विदेशो में रहते है उनके लिए भी ।

चोटीवाला नाम है इन सज्जन के भोजनालय का एक पल तो ठिठकेंगे आप भी ।


राम झूले में जगह की थोड़ी कमी तो जरुर थी पर ऐसे नज़ारे भी तो थे ।

और ये भी ।

यहाँ बीच में एक बात रह गयी लक्ष्मण झूले और राम झूले के बीच में स्वर्गाश्रम से जरा पहले एक रास्ता है जो भुतेश्वरनाथ मंदिर को जाता है अगर आप ऋषिकेश जाएँ तो वहां जरुर जाइएगा ।
ये करीब 13 मंजिल ऊंचा है और इस तक पहुँचने के लिए आपको एक छोटी पहाड़ी की आधी ऊँचाई तय करनी पड़ेगी
पूरे ऋषिकेश और माँ गंगा का सर्वश्रेष्ठ अद्भुत दृश्य आपको इसी मंदिर की ऊँचाई से ही मिलेगा
ये इतना प्यारा दृश्य होता है जो आपकी सारी थकान मिटा देगा ।
सबसे दुःख की बात ये रही की जिस दोस्त के पास कैमरा और सामान रख छोड़ा था उन्होंने इतनी चढ़ाई से इंकार कर दिया इस कारण आपको इसकी फोटो नहीं ले पाए और पूरी यात्रा में इसकी कसक बनी रही ।

एक विशेष बात और कहना चाहूँगा कि ये ध्यान ही नहीं आया कि ब्लॉग के पुराने पाठक मयंक जी हरिद्वार से ही है उनसे मिलने का मौका हाथ से चला गया आशा है वो क्षमा कर देंगे ।
अगली बार दिल्ली ..........

7 comments:

  1. नमस्कार सर जी मेरा भी आपसे मिलने का बहुत मन था आपने मेरी बहुत साहयता करी है शायद मेरे नसीब मे ही नही था आपसे मिलना अगर आपसे मिलता तो आपको हरिद्वार की बहुत सी ऐसी जगह बतता जहा घुम कर आपको बहुत अच्छा लगता कोई बात नही अगर आपने चाहा तो फिर कभी मोका मिलेगा आपसे मिलने का
    आप ऋषिकेश की यात्रा मे एक जगह जाना भूल गये वो जगह है शंकर भगवान का मंदिर जिसका नाम है नीलकंठ आजकल वहा बहुत भीड लगी हुई है अगर आप कभी ऋषिकेश जाओ तो नीलकंठ महादेव के मंदिर जरूर जाना आपको वहा बहुत अच्छा लगेगा

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  2. बहुत अच्छी जगह है, मैने लक्ष्मण झुला में खड़े होकर मछलियों को दो किलो आटे की गोलियां बना कर खिलाई थी।
    हां ये चोटी वाला लोगों का ध्यान जरुर आकर्षित करता है।
    शायद वहां पर अब कई चोटी वाले हो गए होगें-असली नकली का बोर्ड लगाकर्।
    मिलते हैं ब्रेक के बाद

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  3. तस्वीरों के लिये आभार
    नीलकंठ नहीं गये क्या?
    चोटीवाले कई हो गये हैं, हरिद्वार में भी है। लेकिन सबसे पुराना और असली ॠषिकेश में ही है।
    इनदिनों में शायद रिवर राफ्टिंग बंद है।

    प्रणाम स्वीकार करें

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  4. hmm, padh raha hu vivaran,sundar likha hai

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  5. बहुत अच्छा मैं भी अभी 23 से 27 को योग ॠषि स्वामी रामदेव जी के सानिध्य में वहीं था मयंक जी के बारे में मालूम नहीं था नहीं तो मैं भी जरूर मिलता छत्तीसगढ़ से…संदीप

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  6. bahut achchha likha h apne ...........u made 2 feel that place..........superb

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  7. नमस्कार, काफी अच्छी तस्वीरे है, मै भी पिछले दो सालो से हरिद्वार कवर लेने जा रहा हु और ऋषिकेश भी जाता हु , मेने नीलकंठ महादेव के दर्शन भी किये है .
    दिनेश गोयल ( दिल्ली से )

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