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कुछ समय पहले पूछा गया था इनके बारे में यहाँ पर मैं अपनी तरह से बताने का प्रयास कर रहा हूँ ।
सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी या व्यक्ति अपने सॉफ्टवेयर को या तो कीमत लेकर उपयोग करने देते है या फिर मुफ्त रखते है ।
जो सॉफ्टवेयर मुफ्त मिलते है उन्हें Freeware कहते है ये पूरी तरह पूरे उपयोग के लिए मुफ्त होते हैं ये कह सकते है की ये मुफ्त में मिलने वालें Full Version हैं ।
दूसरी तरह के सॉफ्टवेयर वो होते हैं जिनके उपयोग के लिए आपको भुगतान करना होता है ऐसे सॉफ्टवेयर ज्यादातर व्यावसायिक कामो के लिए या विशेष जरूरतों के लिए बनवाये गए होते है ।
तीसरी तरह के सॉफ्टवेयर Shareware होते हैं ये वो सॉफ्टवेयर होते हैं जिन्हें इनके निर्माता मुफ्त उपयोग करने की सुविधा देते है पर सीमित समय या सॉफ्टवेयर में सीमित सुविधाओ के साथ इन्हें ही Trail Version भी कहते है ।
जब आप इनके खरीद लेते है और समय या सुविधाओ की सीमा हटा दी जाती है और आप इनका पूरा प्रयोग कर सकते है तो ये Full Version में बदल जाते है ।
क्रैक (Crack) सॉफ्टवेयर में लगायें गए सीमित अवधि या सीमित सुविधाओ के प्रयोग को बिना सॉफ्टवेयर के किसी सॉफ्टवेयर की मदद से हटाना क्रैक या पैच (Patch) करना है ।
जैसा की आप समझ ही गए होंगे की ये अवैधानिक है और पायरेसी है ।
पर फिर भी इसका प्रयोग बहुत ज्यादा होता है ।
सीरियल (Serail)- ये वो चाबी है जिसके द्वारा सॉफ्टवेयर पर लगे सीमित प्रयोग के ताले को हटाया जाता है ये आप सॉफ्टवेयर निर्माता से खरीद भी सकते है या पायरेटेड सीरियल देनी वाली वेबसाइट से भी मिलती है पर ऐसा करना पायरेसी की श्रेणी में आता है जो जुर्म है ।
इस लेख में सुधार की सम्भावना है और रहेगी ।
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- नवीन प्रकाश
- खरोरा, रायपुर, छत्तीसगढ़, India
- बस एक कोशिश है जो थोडी बहुत जानकारियां मुझे है चाहता हूँ की आप सभी के साथ बांटी जाए। आप मुझे मेल भी कर सकते है hinditechblog(a)gmail.com पर .
बढ़िया
ReplyDeleteएक अच्छी शुरूआत, विस्तृत जानकारी दिए जाने की
sir muze hardwaer(mothear bord) part ki jankari chahiye
ReplyDeletethnax for information
ReplyDeletewww.madhavrai.blogspot.com
www.qsba.blogspot.com
आदरणीय नवीन जी अभी कुछ दिन पहले आप टिप्पणियां न पाने से नाराज़ हो
ReplyDeleteगये थे पर अगर कोई आपको हृदय से धन्यवाद दे उसे भी टिपण्णी समझा जा
सकता है भले ही आपको उसकी जानकारी न हो - अप जो जानकारी देते हैं
कई साथी बिना टिपण्णी के भी सराहना करते है सभी जानकारिय अच्छी हैं धन्यवाद
good ji
ReplyDeleteसटीक जानकारी. बहुत अच्छे.
ReplyDeleteपहली कक्षा का पाठ आज यंहा.... कुछ अजीब सा लग रहा है |
ReplyDeletebadhiyaa jaanakaarI....
ReplyDeleteसॉफ्टवेयर के बारे में ये जानकारी देते हुए आप FOSS के बारे में बताने से चूक गए. FOSS यानि कि Free and Open Source Software (स्वतंत्र एवं मुक्त स्त्रोत सॉफ्टवेयर) वो सॉफ्टवेयर हैं जो किसी भी उपयोगकर्ता को चार अत्यावश्यक स्वतंत्रता देते हैं:
ReplyDeleteस्वतंत्रता संख्या ०. सॉफ्टवेयर को अपने काम के अनुरूप इस्तेमाल करने कि स्वतंत्रता.
स्वतंत्रता संख्या १. सॉफ्टवेयर की कार्यप्रणाली का अध्यन करने तथा उसे अपनी आवश्यकतानुसार बदलने की स्वतंत्रता. उपयोगकर्ता को सॉफ्टवेयर के स्त्रोत कोड की पहुँच देना इसके लिए आवश्यक है.
स्वतंत्रता संख्या २. सॉफ्टवेयर की प्रति बनाकर उसका पुनर्वितरण करने की स्वतंत्रता जिससे उपयोगकर्ता अपने मित्रों की सहायता कर सके.
स्वतंत्रता संख्या ३. सॉफ्टवेयर के अपने द्वारा संशोधित संस्करण की प्रति बनाकर वितरित करने की स्वतंत्रता. ऐसा करने से आप संपूर्ण समाज को अपने संशोधनों से लाभान्वित होने का मौका देते हैं. उपयोगकर्ता को सॉफ्टवेयर के स्त्रोत कोड की पहुँच देना इसके लिए आवश्यक है.
यहाँ Freeware और FOSS में अंतर समझना आवश्यक है. Freeware वो सॉफ्टवेयर है जिसके लिए उपयोगकर्ता को कोई मोल नहीं चुकाना पड़ता. यहाँ free का आशय सॉफ्टवेयर की कीमत से है, free यानि कि मुफ्त. पर जब हम फोस की बात करते हैं तो यहाँ free का आशय उन स्वतंत्रताओं से है जो वो सॉफ्टवेयर उपयोगकर्ता को देता है, free यानि कि स्वतंत्र. एक सॉफ्टवेयर उपयोगकर्ता होने के नाते हम सबके लिए ये अत्यंत आवश्यक है कि हम अपनी सॉफ्टवेयर स्वतंत्रता का महत्व समझें और केवल वो सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करें जो हमें ये स्वतंत्रता देते हैं. उदहारण के लिए, GNU/Linux के सारे वितरण, जैसे कि Ubuntu, Fedora, SuSE, Mandriva, आदि FOSS ऑपरेटिंग सिस्टम हैं, जबकि Microsoft Windows एक मालिकाना (proprietary) ऑपरेटिंग सिस्टम है. वैसे ही Microsoft Office एक मालिकाना (proprietary) सॉफ्टवेयर है जबकि openOffice.org एक FOSS है.
इस विस्तृत टिप्पणी का एकमात्र उद्देश्य यह है कि सॉफ्टवेयर कि बात करते हुए हम कभी भी FOSS को न भूलें क्योंकि ये हमें हमारी सॉफ्टवेयर स्वतंत्रता देते हैं.
अधिक जानकारी के लिए आप इन websites को देख सकते हैं:
* http://www.fsf.org/
* http://www.gnu.org/
* http://www.gnu.org/philosophy/free-sw.html
* http://opensource.org/
इसके अलावा FOSS के बारे में कुछ भी और जानने के लिए आप मुझसे सीधे संपर्क करना चाहें तो मुझे आपकी सहायता करने में अत्यधिक हर्ष होगा. आप मुझे twitter पर @tanamania के नाम से ढूंढ सकते हैं.
बढ़िया जानकारी के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteम इसी फिलड से हू
और ये सब जानता हू
फिर भी आपका आभार
@ तनय जी
ReplyDeleteआपका मेल पता नहीं मिला इसीलिए यहाँ लिखना पड़ रहा है
आपने जो बाते कही है मुझे इन सबकी जानकारी है यहाँ पर मैं मोटे तौर पर अवगत करना चाहता था इनके विषय में . मुझसे टिपण्णी में सिर्फ इन्ही चीजों के बारे में पूछा गया था ओपन सोर्स प्रोग्राम पर लेखों की एक श्रुंखला लिखने की काफी दिनों से योजना है
और आपने शायद आखरी लाइन नहीं पढ़ी की इस लेख में सुधर की सम्भावना है .
और एक बात ओपन सोर्स प्रोग्राम के कोड का उपयोग सामान्य उपयोगकर्ता नहीं कर पाते है उनके लिए थोड़े अधिक ज्ञान की जरुरत होती है .
और एक शिकायत आपसे अगर आपके पास इन विषयों में काफी अच्छी जानकारी है तो उन्हें अपने तक न रखकर और से बांटना भी शुरू करें .
@नवीनजी,
ReplyDeleteआपने लिखा है की आप सॉफ्टवेयर की विभिन्न प्रकारों के बारे में पाठकों को "मोटे तौर पर अवगत" करना चाहते थे. इस विषय में मैं कहना चाहूँगा कि FOSS के प्रचार प्रसार में सबसे बड़ी समस्या ये है कि आम सॉफ्टवेयर उपयोगकर्ता को FOSS के बारे में जानकारी नहीं होती है. ऐसे लोग बहुत कम हैं जिन्हें जानकारी होती है पर वैकल्पिक रूप में मालिकाना (proprietary) सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं. सॉफ्टवेयर के बारे में इतनी विस्तृत जानकारी देने वाले ब्लॉग पर जब FOSS का कोई जिक्र नहीं मिला तो मैंने उस कमी को पूरा करना चाहा. जैसा कि आपने लिखा भी था (जो कि मैंने पढ़ लिया था..:)), कि "इस लेख में सुधार की सम्भावना है और रहेगी" तो मैंने FOSS की विचारधारा का अनुसरण करते हुए वो सुधार करने का एक छोटा सा प्रयास किया.
आपने ये भी लिखा है कि "ओपन सोर्स प्रोग्राम के कोड का उपयोग सामान्य उपयोगकर्ता नहीं कर पाते है उनके लिए थोड़े अधिक ज्ञान की जरुरत होती है". मैं आपकी बात से पूर्णतः सहमत हूँ पर यहाँ बात Free Software और Open Source Software के मूलभूत अंतर पर आ जाती है. आवश्यक ये नहीं है कि उपभोक्ता सॉफ्टवेयर के कोड में संशोधन कर पाता है कि नहीं, आवश्यक ये है कि क्या सॉफ्टवेयर निर्माता उपभोक्ता को इस बात कि स्वतंत्रता देता है कि नहीं. ऐसा तो नहीं कि उपभोक्ता को वो सॉफ्टवेयर उसके निर्माता द्वारा तय शर्तों के अनुसार ही इस्तेमाल करना पड़े. उदहारण के तौर पर, भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों के अन्दर ये जज्बा था कि हमें अपने देश को आज़ाद करना है, हमें एक आज़ाद देश में रहना है. उनके लिए ये बात महत्वहीन थी कि क्या वे उस स्वतंत्र भारत के संविधान में कुछ संशोधन कर पायेंगे या नहीं, महत्व इस बात का था कि उन्हें अपने देश में सब कुछ अपने हिसाब से करने कि स्वतंत्रता चाहिए थी. इसी अनुरूपता से अगर हम समझने की कोशिश करें तो हम समझेंगे की सॉफ्टवेयर स्वतंत्रता का क्या महत्व है, भले ही फिर उपभोक्ता उसका इस्तेमाल कितना कर पाए.
आपने आगे बात इस जानकारी को सबसे बांटने की कही है. FOSS का प्रचार प्रसार करना मेरे जीवन के कुछ प्रमुख लक्ष्यों में से है. Twitter पर अगर आप मुझे follow करें तो मेरे जनसंदेशों में आपको इसकी झलक मिलेगी. इसके अलावा मैं OSScamp Community का एक सक्रिय सदस्य हूँ और अपने साथियों से साथ मिलकर अपने कॉलेज में दो OSScamp व अनेकों FOSS के कार्यशालाओं, व्याख्यान, आदि का सफल आयोजन करा चूका हूँ. मुझे अत्यंत ख़ुशी होगी यदि आप, संजीव राणा जी व और भी जितने आपके tech ब्लॉगर साथी OSScamp Community के साथ जुड़ें. हम अगला OSScamp, जुलाई माह में नॉएडा के Amity विश्वविद्यालय में करना चाह रहे हैं. OSScamp के बारे में अधिक जानने के लिए आप हमारी Community Website http://osscamp.in पर जा सकते हैं. मुझे आपके द्वारा प्रस्तावित OpenSource सॉफ्टवेयर की लेख श्रृंखला से किसी भी प्रकार से जुड़ने में भी अत्यंत ख़ुशी होगी. हम और आप जैसे लोग मिलकर ही FOSS के बारे में व्याप्त अनभिज्ञता को दूर कर सकते हैं.
आप ही जरा सोचिये आज के मंहगाई के दौर में आम लोगों साफ्टवेयर, गाने, मूवी आदि इस पर पैसा खर्च करने वजायें पायरेसी सीडी या पायरेसी साईट से मुक्त में डाउनलोड करना पसंद करेंगे । क्योकि साफ्टवेयर गाना और मूवी इत्यादि बहुत मंहगे दाम में बेचे जाते । आम इंसान की वजट से बाहर हो जाता है । इस पर खर्च करना फिजूलखर्ची समझते है आपको भी याद होगा जब इन्टरनेट चलन नही था तब गाना सूनने के लिए 50-60 रुपया का कैसेट खरीदते थे या 25 रुपये में पसंद के गाने कैसेट में डबिंग कराया करते थे । इसके बाद सीडी आया लेकिन बहुत मंहगे दामों बिकती थी ।
ReplyDeleteइन्टरनेट के आने से यह सब बाजार से बाहर हो गया । इन्टरनेट के माध्यम से जमकर पायरेसी होने लगा । लोगो का रुझान इस पर हो गया । आम लोग सोचने लगे कि इन्टरनेट में सब चीज फौकट में मिल जाता है क्यो ना खरीदने के वजाये मुक्त में डाउनलोड कर लिया जाए । लेकिन मेरे को यह समझ नही आता कि हमारी सरकार इन्टरनेट की बढ़ावा देने पहले पायरेसी जैसे गंभीर विषय पर गौर क्यो नही किये ।
अब तो बहुत देर हो चुका सरकार के लिए इस पर लगाम कसना बहुत मुश्किल है इस पर कोई भी इंसान आवाजा उठाना पसंद नही करेंगे क्योकि सभी को मुक्त में मंनोरंजन चाहिये । इसलिए हम पायरेसी के खिलाफ चुप है..और बड़े
चाव मूवी, गाने और साफ्टवेय या गेम डाउनलोड करते रहते है ।
3 जी नेटर्वक भी भारत में लांच हो गया है जब यह सस्ता हो जाएगा तो फिर लोग चोरी छिपे डाउनलोड करना शुरु कर देंगे । इससे पायरेसी का जबर्दत बढ़वा मिलेगा । फिर सरकार के लिए मुश्किले और बढ़ जायेगी । इस पर गंभीर विचार करना होगा । पायरेसी से आम इंसान को फायदा होता है लेकिन बनाने वाली कंम्पनियों को बड़ा चुना लगता है साथ ही राजस्व घाटा पहुचता है । मंहगाई के दौर में मै भी मजबूर हुँ..